रावण तो हैं आज भी ज़िंदा…
मन में हर इंसानो के…
ना तब मिटा था…
ना अब मिटेगा…
मन से हर इंसानो के…
अच्छाईयों की शक्लें तो…
हर इंसान बना ही लेता हैं…
बुराईयों का चेहरा तो…
मन में छुपा कर रखता हैं…
कैसे मिटेगा मन का रावण… मन से हर इंसानो के… रावण तो हैं आज भी ज़िंदा… मन में हर इंसानो के…
ना चाहें जो जीत किसी पे…
ना चाहें जो हार किसी की…
समझेगा जो मन की बाते…
मन से जब इंसानो की…
तभी मिटेगा मन का रावण…
मन से हर इंसानो के… रावण तो हैं आज भी ज़िंदा…
मन में हर इंसानो के…
~तरुण
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