ये वक़्त के पन्ने भी बहुत अज़ीब होते हैं…
ना तो ये फ़िर से खुल सकते हैं…
ना ही इनको बदल सकते हैं…
फ़िर भी, जो आने वाला हैं…
वो ख़्यालों में आ ही जाता हैं…
और जो गुज़र गया हैं…
वो ज़ेहन में रह ही जाता हैं…
हैं ना, वक़्त के पन्ने… कुछ अज़ीब से…
कोई यादों की मीठी बर्फ़ी बनाता हैं…
तो कोई, ख़्वाबों की टेढ़ी-मेढ़ी जलेबी…
कोई, कोरा काग़ज़ ही रह जाता हैं…
तो कोई बनाता हैं रंगों की खूबसूरत रंगोली…
कोई बचपन में खिलौनों से खेलता हैं…
तो कोई, बचपन से खिलौने बेचता हैं…
कोई शख़्स धूप में दिन भर पिघलता हैं…
तो कोई, शाम होते ही जाम भर लेता हैं…
कोई वक़्त से आगे जाना चाहता हैं…
तो कोई, पीछे लौटना…
बेहतर होगा इंसान अगर…
सीख जाए वो ठहरना…
इन्हीं सब कहानियों से तो भरे हुए हैं…
वक़्त के ये सारे लम्हें… इसलिए शायद लगते हैं…
अज़ीब से ये वक़्त के पन्ने…
~तरुण
With Love ~T@ROON
वक़्त के पन्नों से…

nice
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Thank you Gautam 🙏🙏
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welcome
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उनके रुख़ की परवाह नहीं मुझ को,
उनकी रूह से पुराना एक राब्ता है मेरा…!!
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खूबसूरत 👌👌
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❤️👌👌
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शुक्रिया 🙏🙏
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