ये कृष्ण का सागर हैं राधा…
तुम यूँ ही खेल ना पाओगी…
जब भी उतरोगी प्रेम से इसमें…
तुम कभी डूब ना पाओगी…
ये कृष्ण का सागर हैं राधा…
जितना गहरा जाओगी…
उतना ही समझ भी पाओगी…
ग़र मिला दे वो अपना हाथ कभी…
तुम इस जग को भी भूल जाओगी…
ये कृष्ण का सागर हैं राधा…
यूँ ही चल के पार ना होगा…
ख़ुद को एक दिन मिटाना होगा…
तैर कर उस पार भी जाना होगा…
ये अंत नहीं, शुरुआत हैं…
पल भर की थोड़ी प्यास हैं…
जो प्रीत करे वो ख़ास हैं…
वो कृष्ण हैं…
इसलिए सबके पास हैं…
~तरुण
वो कृष्ण हैं…

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