मुश्किल हो जाता हैं कभी कभी…
उन रास्तों पर चलना…
जहाँ किसी के साथ होने का…
एक एहसास रहता हैं…
टूटे बिखरे ही सही…
किसी के कदमों का…
एक निशाँ रहता हैं…
और भी मुश्क़िल हो जाता हैं…
जब वो रास्ता घर की…
दहलीज़ से गुजरता हैं…
और नामुमकिन सा लगता हैं…
जब ये मालूम हो कि…
उस रास्ते से अब कभी भी…
वो लौटता ही नहीं…
~तरुण
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