इश्किया…

आज बड़ी ही मुश्किल से...एक नज़्म बन पाई हैं...तेरे शहर की हवा आज...मेरे घर की तरफ़ आई हैं...सोच रहा हूँ कि... संग हो जाऊँ मैं इन हवाओं के...और घूम आऊँ सारा शहर भर... और जब लौटेगी यहीं हवाएँ... तेरे शहर की ओर... सोच रहा हूँ कि... इनमे इश्क़ भर दूँ इतना... कि तेरे शहर तक... Continue Reading →

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