इश्किया…
आज बड़ी ही मुश्किल से...एक नज़्म बन पाई हैं...तेरे शहर की हवा आज...मेरे घर की तरफ़ आई हैं...सोच रहा हूँ कि... संग हो जाऊँ मैं इन हवाओं के...और घूम आऊँ सारा शहर भर... और जब लौटेगी यहीं हवाएँ... तेरे शहर की ओर... सोच रहा हूँ कि... इनमे इश्क़ भर दूँ इतना... कि तेरे शहर तक... Continue Reading →
पहली बारिश…
क्यूँ पहली बारिश के दरमियाँ…तेरी थोड़ी याद सी आई…क्यूँ इन साँसों के दरमियाँ…भीनी भीनी आह सी आई…कुछ पहला सा इश्क़ था…बिखरा हुआ इन बूँदों में…क्यूँ भीगते हुए ज़हन में…तेरी कहानी फ़िर दोहराई…क्यूँ पहली बारिश के दरमियाँ…तेरी थोड़ी याद सी आई…एक घूंट भर चाय की प्याली से…मैंने अपनी प्यास बुझाई…दूजे घूंट तक आते आते…तेरी एक तस्वीर... Continue Reading →
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