नज़्म…

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1.
गुलाबी शाम, गुलाबी आंखें, और गुलाबी हवा…
मोहब्बत का एक ही रंग काफ़ी था हमारे ज़माने में…

2.
चांद का गुरूर तो हम कब का छिन लेते
अगर बेपर्दा कर देते उसके हुस्न को…

3.
कहानियों में किरदार तो बहुत मिल जाते हैं…
मगर किरदार में कोई कहानी मिले तो कुछ बात हो…

4.
यूहीं दस्तक देती रही ये सर्द हवाएं तेरा नाम लेकर…
इश्क़ का ये नया अंदाज़ है शायद…

5.
क्या गज़ब का दौर चल रहा है आजकल…

बातों में जज़्बात और होठों पर अल्फ़ाज़ नज़र नहीं आते…

~T@ROON 📝

5 thoughts on “नज़्म…

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