किनारे तक आते आते…
शायद लेहरों को ये एहसास हो जाता है…
कि कैसे जाये वो दूर उस सागर से…
जिसके बिना उसका कोई वजूद नहीं…
इसलिए लौट जाती हैं वापस…
किनारे तक आते आते…
~तरुण
keep walking with your dream.
किनारे तक आते आते…
शायद लेहरों को ये एहसास हो जाता है…
कि कैसे जाये वो दूर उस सागर से…
जिसके बिना उसका कोई वजूद नहीं…
इसलिए लौट जाती हैं वापस…
किनारे तक आते आते…
~तरुण
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