चाय…

ना जाने क्यूँ इस दिल में…
आज फ़िर से एक सवाल आया हैं…
भीगते देख उसे बारिश में…
मन में फ़िर से एक भूचाल आया हैं…
होती नहीं कोई हद अक्सर…
किसी से इश्क़ करने की…
जाने अनजाने ही सही मग़र…
आज फ़िर से तेरा एक ख़्याल आया हैं…
अब तक बस धीमी सी आँच पर थी…
वो कूटे हुए अदरक की नुक्कड़ वाली चाय…
बहुत अरसे के बाद लगा हैं आज जैसे…
उस चाय में फ़िर से वहीँ उबाल आया हैं…
~तरुण

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