जनहित में जारी…

एक बात कुछ यूं हैं म्हारी…
जो करनी हैं जनहित में जारी…

दुनिया ने की हैं तैयारी…
आयी हैं अब कोरोना री बारी…

ना रण हैं ना अस्त्र कोई…
हैं वो फ़रिश्ता या इंसान कोई…
डॉक्टर कहो उसे या कहो पुलिस…
लड़ाई उनकी अब तक हैं जारी…
हिम्मत हैं उनकी जो नहीं हैं हारी…

रात और दिन का फ़िक्र नहीं करते…
घर हैं, फ़िर भी ज़िक्र नहीं करते…
दाव पर लगी हैं ख़ुद की ज़िंदगी…
फ़र्ज़ हैं, इसलिए रूक नहीं सकते…

बस इत्ती सी बात तुम्हें हैं बतानी…
ख़ुद की जिम्मेदारी…
ख़ुद को ही हैं निभानी…

घर में रहें और सुरक्षित रहें…
जरूरतमंद की सेवा भी करें…
बस इतना ज़रूर ख़्याल रहें…
ये वक़्त हमको याद रहें…

ये जंग नहीं इंसानों की…
ये लड़ाई हैं सिर्फ़ इंसानियत की…

~तरुण

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