वो नया बसंत बनकर लौट आया हैं…

वो नया बसंत बनकर लौट आया हैं…
चलो कोई तो हैं जो कहीं से तो लौटा हैं…
बहुत सी अर्जियां करी थी…
शायद उस तक ही पहुँच पायी…
और वो लौट आया… हमारे पास…
उससे पहले कहाँ था… नहीं मालूम…
कहीं तो रहेगा ही… उसकी अपनी दुनिया रही होगी…
मग़र अब वो हमारी दुनिया का एक हिस्सा बन गया हैं…
जब वो आने वाला था ना… उस पहर में खूब सन्नाटा था…
मग़र चाँद पूरा का पूरा था उस फ़लक पर…
अपनी चाँदनी को ओढ़े हुए…
मुस्कुराते हुए उस खिड़की से झाँक रहा था मुझे…
मैंने भी दो टूक देख लिया… कुछ तो करना था ना उस वक़्त…
तो कर ली थोड़ी सी गुफ़्तगू… उसी ख़ामोशी में…
बिन कुछ कहे… बिन कुछ सुने…
अच्छी ख़ासी बातें हो ही रही थी…
कि अचानक कोई आया… कहता हुआ कि वो आ गया हैं…
एकदम से उस चाँद से रुख़ मोड़कर…
मैंने एक आवाज़ का पीछा किया…
सुनायी दे रही थी मुझे उसकी सिसकियाँ… बहुत अच्छे से…
बस वो पहली नज़र जब पड़ी उसपर…
एक सुकून था उसके माथे पर…
बस उस एक पल में क़ैद होकर रह गया मैं…
बे-बूझ सा लगने लगा था सब कुछ…
मानो एहसास की एक डोर सी जुड़ गयी थी उसके संग…
नन्हें नन्हें से कदम, आपस में उलझे हुए उसके हाथ…
एक टूक सी वो निगाहें… और गले में अटकी उसकी साँस… बस इतना देखकर ही…
लगा जैसे कि वो वहीं बसंत हैं…
जो बीत गया था कहीं… अब लौट आया हैं… एकदम हूबहू…ना जाने कितने पतझड़ के बाद… वो नया बंसत बनकर लौट आया है… ~तरुण

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

Start a Blog at WordPress.com.

Up ↑

%d bloggers like this: