अब तलक…

बादलों में भरे हुए पानी का…
बारिश बनकर ज़मीं पर उतरना…
लगे जैसे ज़मीं की कोई गहरी प्यास हैं…
जो अब तलक बुझी नहीं…

या फ़िर ज़मीन का कोई एक हिस्सा…
जो अब बादल बन गया हैं…
अब तलक कोशिशों में हैं कहीं…
फ़िर से मिल जाए उसी ज़मीं से…
बादल बनकर ना सही…
बारिश बनकर ही सही…
~तरुण

One thought on “अब तलक…

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  1. अब तलक …
    ये तो एक तलब- सी हैं…
    कभी जमीं से बादलों को…
    तो कभी बादलों से जमीं को……
    😊😊😊😊

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